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(२) अधर्मास्ति द्रव्य अपेक्षा स्तोक, तस्य प्रदेश भसंख्यात गुण
एवं नीव और पुद्गल की। अल्पा० समझना. (३) आकाशास्ति० द्रव्य अपेक्षा स्तोक, तस्य प्रदेश अनन्त गुणा
और काल की अल्पाबहुत्व नही। षट् द्रव्य के द्रव्य और प्रदेशों की अल्पा.(१) धर्मास्ति० अधर्मास्ति० और आकाशास्तिकाय के द्रव्य
परस्पर तुल्य और सब से स्तोक । (२) धर्माधर्मास्तिकाय के प्रदेश परस्पर तुल्य असंख्यात गुणा । (३) नीष द्रव्य अनन्त गुणा । (४) तस्य प्रदेश असंख्यात गुणा। (५) पुदूगल द्रव्य अनंत गुणा। ६) तस्य प्रदेश असंख्यात गुणा। (७) काल द्रव्य अनन्त गुणा । (९) आकाश प्रदेश अनन्त गुणा ।
हे भगवान् ! धर्मास्तिकाय अवगाही हुई है ? (गौतम ) हां अवगाही है, तो क्या संख्याता, असंख्याता या अनन्ता प्रदेश अषगाहा है ? संख्याता और अनन्ता नही किन्तु असंख्याता प्रदेश अवगाहा है, यधपि असंख्याता प्रदेश अवगाहा है तो वह कुरजुम्मा है, या यावत् कलयुगा है ? (गौतम , कुडजुम्मा है शेष तीन बोल नहीं एवं अधर्मास्तिः आकाशास्ति० जीवास्ति. पुदगलास्ति और काल की भी व्याख्या करनी के केवल कुडजुम्मा प्रदेश अवगाध है, शेष तीन बोल नहीं। - रत्नप्रभा नारकीकी पृच्छा ? गौतम ) कुडजुम्मा प्रदेश अवमाय है, शेष ३ बोल नहीं, इसी तरह ७ नारकी, १२ देवलोक, ९ प्रैवेक, ५ अनुत्तर वैमान १ सिद्धशिला और लोक ये ३५ बोलों की व्याख्या करनी के एक कुडजुम्मा प्रदेश अवगाम है शेष नहीं।
सेवभंते सेवंभंते तमेव सच्चम् ।