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समुच्चय श्रेणी क्या सादि सान्त है (१) सादि अनन्त है, (२) अनादि सान्त है, (३) या अनादि अनन्त है ? (४) गौतम! अनादि अनन्त है शेष तीन भांगा नहीं, इसी तरह पूर्वादि छे दिशी भी समझ लेना।
लोकाकाशके श्रेणीकी पृच्छा? गौतम! सादि सान्त है. शेष तीन भांगा नहीं एवं छे दिशी भी समझ लेना।
अलोकाकाशके श्रेणीको पुच्छा, गौतम! स्यात् सादि सान्त यावत् अनादि अनन्त चारों भांगा पावे यथा(१) सादि सान्त-लोकको व्याघातमें। (२) सादि अनन्त-लोकके अन्त में अलोककी आदि है परंतु
फिर अन्त नहीं। (३) अनादि सान्त-अलाक अनादि है परंतु लोकके पासमें
अन्त है। (४) अनादि अनन्त-जहां लाकका व्याघात न पडे वहां।
पूर्व पश्चिम और उत्तर दक्षिण दिशी सादी सान्त धर्ज देना तथा उंची नीची दिशी पूर्ववत् चारों भांगा पावे ।
हे भगवान् ! द्रव्यापेक्षा श्रेणी क्या कुडजुम्मा है ? यावत् कलयुगा है ? गौतम! कुडजुम्मा है, शेष तीन भांगा नहीं, एवं यावत् छे दिशीमे कहना, इसी तरह द्रव्यापेक्षा लोकाकाशकी श्रेणी भी समझ लेना, यावत् छे दिशीकी व्याख्या कर देना एवं अलोकाकाशकी भी व्याख्या करना। __ प्रदेशापेक्षा आकाश श्रेणीकी पृच्छा, गौतम! कुडजुम्मा हैशेष तीन मांगा नहीं एवं छे दिशी। __प्रदेशापेक्षा लोकाकाशके श्रेणीको पृच्छा, गौतम! स्यात् कुडजुम्मा है स्यात् दायरजुम्मा है शेष दो भांगा नहीं, एवं