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धर्माचार्यो, धर्मकथाओ यहलौककी और परलोककी ऋद्धी विशेष और भावकोंका शीलवतो, विरमणो, गुणवतो, प्रत्याख्यानो, पौषधोपचासो, श्रुत परिग्रहो, तपो उपधानो, प्रतिमाओ, उपसर्गा, संलेखना भक्त प्रत्याख्यानो पादपोपगमनो, देवलोक गमनो, सुकुलमा जन्मो, बोधिलाभ और अंतक्रिया, इस अंगका श्रुतस्कंध १ है इत्यादि शेष यंत्रमें।
अतकृदशांग सूत्रमें--अंतकृत ( अन्तकेवल ) प्राप्त पुरुषोंका नगरो उचानो, चैत्यो, वनखंडो, राजाओ, माता पिता, समयहरणो, धर्माचार्यो, धर्मकथाओ, यह लौक और परलोककी ऋद्धि, भोग परित्यागो, प्रव्रज्याओ, श्रुतपरिग्रहो; तपो उपधानो बहुविध प्रतिमाओ, क्षमा, आर्जव, मार्दव, सत्य सहित शौच, सत्तर प्रकारको संखम उत्सम ब्रह्मचर्य, अकिंचनता, तप क्रियाओ, समितिमओ, गुप्तिओ, अप्रमाद्योग उत्तम स्वाध्याय और ध्यानका स्वरूप, उत्तम संयमको प्राप्त और जित परिषह पुरुषोंकों चार प्रकारका कर्मभाव हुषा बाद उत्पन्न हुबो अंत समय केवल ज्ञानको लाम, सुनिओका पर्याय काय, पादपोपगमन पवित्र मुनिवर भीतना भक्तो (भक्तज़ो) कुं त्याग करके अंतकृत हुषा इत्यादि. इस अंगका श्रुतस्कंध एक है इत्यादि शेष यंत्रमें. : अनुत्तरोपपातिक सूत्रमे-अनुत्तरोपपातिको (मुनिओ का नग़रो, उद्यानो चैत्यो, बनखंडो राजाओ, माता पिताओ, समवसरणो, धर्माचार्यो, धर्म कथाओ, यह लौकका और परलौकका ऋद्धि विशेषो, भोग परित्यागो, श्रुतपरिग्रहो, तपो, उपधानो, 'पर्याय, प्रतिमा, संलेखना, भक्तपान प्रत्याख्यानो, पादपोपगमनो, सामवतारो, बोधि लामो, और अंतक्रियाओ नवमा अंगमें १ चुका है इत्यादि शेष यंत्रमें.
१० प्रश्न व्याकरण सूत्रमें-एकसो आठ प्रश्नो, एकसो आठ · अकसो माठ प्रभाप्रभो, अंगुठा प्रश्रो, बाहु प्रश्नो, आग