________________
८६
* नोट-मायतन का तीसरा भेद श्रेणी है उन के उन प्रदेशी
प्रदेशी है तुम प्रदेशी २ प्रदेशी हैं। जघन्य नितने प्रदेश का संस्थान होता है उतनाही आकाश प्रदेश अवगाहता है और उत्कृष्ट प्रदेश सब संस्थान अनन्त प्रदेशी है और असंख्याता आकाश प्रदेश अवगाहते हैं । इति ।
सेवभते सेवभंते तमेव सच्चम् ।
थोकडा नं. ८५.
श्री भगवती सूत्र श० १८-उ० ४.
(जुम्मा) लोक में जो जीव अजीव पदार्थ हैं वह द्रव्य और प्रदेशा. पेक्षा कितने २ हैं उनकी गिणती करने के लिये यह संख्यागांधी है। ___गोतम स्वामी भगवान से पूछते हैं कि हे भगवान ! जुम्मा कितने प्रकार के हैं ? गौतम! चार प्रकार के है. यथा-कुरजुम्मा, तेहगा लुम्मा, दावरजुम्मा, और कलउगा जुम्मा। जैसे किसी एक रासी में से चार घार निकालने पर शेष ४ बचे उसे कुडजुम्मा करते हैं। इसी तरह चार २निकालने हुवे शेष बचे उसे उगा जुम्मा कहते हैं। अगर चार २ निकालने पर शेष २ बरे तो दायरजुम्मा, कहते हैं और एक बचे तो कलउगा जुम्मा, जाते हैं। नारकी के मेरिया क्या कुटजुम्मा है, यावत् कलउना हम्मा है? जपन्य पदे कुरजुम्मा, उत्कृष्ट पदे तेउगा, मध्यम पदे सरों भांना पाये।इसी तरह १० भुवनपती १ तीच पंवेदी,