________________
करके आया है दूसरा एक समयका अहारीक अणाहारी है परन्तु एक वंका गती करके आया है। इनके योग संख्यातगुण न्यूनाधिक है ।
( ४ ) एक जीव एक समय का आहारीक मींडक गती करके आया है और दूसरा दो समय का अणाहारीक दो समय की का गती करके आया है। इन दोनों के योगों में असंख्यातगुण म्यूनाधिकपने है ।
जैसे नार की कहो उसी माफक शेष भुवनपति १० स्थावर ५, विकलेन्द्रि ३, तीर्थच पंचेन्द्रि १, मनुष्य १, व्यन्तर १, क्योतिषी १, वैमानिक १, एवं चौवीस दंडक भी समझ लेना । विशेष विस्तार गुरु महाराज की उपासना कर प्राप्ती करना चाहिये इति । सेवते सेवते तमेव सचम् |
थोकड़ा नं० ७६
( श्री भगवती सूत्र श० २५ - उ० १. ) ( योगों की अल्पावहुत्व ).
योग १५ है यथा ( ४ मनका ) सत्य मनयोग, असत्य मन योग, मिश्र मनयोग और व्यवहार मनयोग | ( ४ वचन का ) सत्य वचनयोग, असत्य वचनयोग, मित्र वचनयोग और व्यवहार वचनयोग | ( ७ काय का ) औदारीक काययोग, औदारोक मिश्र काययोग, वैक्रिय काययोग, वैक्रिय मिश्र काययोग, आहारिक काययोग, आहारीक मिश्र काय योग और कार्मण काय. योग | एवं १५ ।