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योग के स्थान असंख्याते हैं परन्तु यहां समाम्यता से १५ ही को प्रहण कर प्रत्येक के दो दो भेद मपन्य और उतष्ट करके ३० बोलों की अल्पाबहुत्व कही है यथाः
(१) सबसे स्तोक कार्मण का मगन्य योग. (२) औदारीक के मित्र का मधन्य योग अस० गुणा. (३) क्रिय के
" " " । (५) औदारीक कामधन्य याग . ,, .. (५) वैक्रिय का : (६) कार्मण का उत्कृष्ट योग ,
(७) आहारीक के मिश्र का जघन्य योग,, , (८) आहारीक के मिश्र का उत्कृष्ट योग, (९) औदारीक के मिश्र का और वैक्रीय के मित्र का
उस्कृष्ट योम परस्पर तुल्य और में बोल सेभस.
स्यात गुणा. (१०) व्यवहार मनका जघन्य योग अस० गुणा. (११) आहारीक का , , , (१२) तीन मन के और चार बचन के जघन्य योग परस्पर
तुल्य और ११ वा बोल से असंख्यात गुणा. (१३) माहारीक का उत्कृष्ट योग असंख्यात गुणा. (१५) भौदारीककाय योग, वैक्रीय काययोग, चार मनका
और चार वचन का एवं १० का उतकृष्ट योग परस्पर तुल्य और ११३ गोल से असं गुणा ॥ इति ॥
सेवंभंते सेवंभंते तमेव सच्चम् ॥