________________
शान्तसुधारस
- तुम इस शरीर को देखो। यह पहले या पीछे एक दिन अवश्य ही छूट जाएगा। विनाश और विध्वंस इसका स्वभाव है। यह अध्रुव, अनित्य और अशाश्वत है। इसका उपचय और अपचय होता है। इसकी विविध अवस्थाएं होती हैं। '
२
इस अनित्य अनुप्रेक्षा को करने वाला मनुष्य यथार्थता के धरातल को पा लेता है और दुःख में से सुख निकाल लेता है। उसकी फलश्रुति है
• अनासक्ति का विकास।
• ममत्व का विलीनीकरण ।
• मूढ़ता का अपनयन ।