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पारिभाषिक शब्द
१८१ हैं-रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा,
महातमःप्रभा। साधु-जैन दृष्टि के अनुसार जो पांच महाव्रतों की आराधना करते हैं तथा साधना
__ का उपदेश देते हैं। सिद्ध-सभी कर्म-बन्धनों से मुक्त। सिद्धशिला-सर्वार्थसिद्ध विमान से बारह योजन ऊपर पैंतालीस लाख योजन की
लम्बी-चौड़ी गोलाकार सिद्धशिला है। वह मध्य में आठ योजन मोटी और चारों ओर से क्रमशः घटती-घटती किनारे पर मक्खी के पंख से भी अधिक पतली है। उसके एक योजन ऊपर अग्रभाग में पैंतालीस लाख योजन लम्बे-चौड़े और ३३३ धनुष तथा ३२ अंगुल जितने ऊंचे क्षेत्र में
अनन्त सिद्धों का निवास है। इसे मुक्ति या सिद्धालय भी कहा जाता है। सिद्धि-अलौकिक शक्ति। इसके आठ प्रकार हैं-लघिमा, वशिता, गरिमा,
ईशित्व, प्राकाम्य, महिमा, अणिमा, यत्रकामावसायित्व। सुविहित-आचार-सम्पन्न मुनि।