________________
सुभाषित-ग्रन्थ
१६३
साहित्यशास्त्र, काव्य, संगीत, चित्रकला, वास्तुकला, वैद्यक, घोड़े, हाथी और कुत्ते आदि की शिक्षा इत्यादि सभी विषयों का वर्णन है ।"
गोवर्धन बंगाल के राजा लक्ष्मणसेन (११६६ ई०) का आश्रित कवि था । उसने गाथासप्तशती के अनुकरण पर संस्कृत के सात सौ श्लोकों का संग्रह किया और उनको अकारादि-अनुक्रम से रखा । ये सभी श्लोक आर्या छन्द में हैं और इनमें शृङ्गार विषय का वर्णन है। इसका नाम आर्यासप्तशती है।
वटुदास के पुत्र श्रीधरदास ने सदुक्तिकर्णामृत लिखा है। उसने यह ग्रन्थ लक्ष्मणसेन के राज्यकाल में लिखा है । उसने अपने इस ग्रन्थ का रचनाकाल १२०५ ई० दिया है । उसने ४४६ कवियों के २३६८ श्लोक उद्धृत किये हैं। इन कवियों में अधिकांश बंगाल के हैं । यादव राजा कृष्ण (१२४७-१२६० ई०) के मन्त्री कवि जल्हण ने १२५७ ई० में एक सुभाषित-ग्रन्थ सूक्तिमुक्तावली लिखा है । उसने २४३ कवियों के २७६० श्लोक उद्धृत किए हैं । भूमिका में उसने ग्रन्थ की विषय-सूची भी दी है । जयवल्लभ कृत प्राकृत व जालग्गम की रचना उसी समय की है ।।
कलिङ्गरायसूर्य का सूक्तिरत्नहार १४वीं शताब्दी पूर्वार्ध की रचना है। सायण विजयनगर राज्य के चार राजाओं - कम्पस, संगम द्वितीय, बक्क प्रथम और हरिहर द्वितीय का मन्त्री था । उसने वेदों की टीका लिखी है । वह १३५० ई० के लगभग जीवित था । उसने एक सुभाषित-ग्रन्थ सुभाषितसुधानिधि लिखा है। इसमें उसने प्रसिद्ध लेखकों की सूक्तियों का संग्रह किया है । अपने भाई भोगनाथ की सूक्तियों का भी उसने इसमें संग्रह किया है।
दामोदर के पुत्र शार्ङ्गधर ने १३६३ ई० में शार्ङ्गधरपद्धति लिखी है । इसमें १६३ विभागों में विभक्त ४६८९ श्लोक हैं । इसने २६४ कवियों के १. The Collected Works of R. G. Bhandarkar भाग ३, पष्ठ १२४ ।