________________
२२४
संस्कृत साहित्य का इतिहास
प्रद्योत अपनी पुत्री वासवदत्ता का उदयन से विवास करना चाहते थे । उदयन के मन्त्री यौगन्धरायण ने प्रतिज्ञा को कि वह अपने राजा उदयन को वहाँ से छुड़ा कर लायेगा । अतः इस नाटक का नाम प्रतिज्ञायौगन्धरायण पड़ा है । यौगन्धरायण अपने प्रयत्न में सफल होता है और उसकी प्रतिज्ञा पूर्ण होती है । भामह ( ७०० ई० ) ने इस नाटक के कथानक की बहुत कड़ी आलोचना की है । प्रस्तावना में यद्यपि इसको प्रकरण रूपक बताया गया है, परन्तु इसमें केवल चार अंक हैं । यह संभव है कि भास ने जब यह नाटक लिखना प्रारम्भ किया होगा, तब उसका विचार रहा होगा कि वह इस नाटक और स्वप्नवासवदत्तम् को एक में ही रक्खेगा ।
(२) स्वप्नवासवदत्तम् । इसमें ६ अंक हैं । वासवदत्ता से विवाह के बाद उदयन अपनी पत्नी में इतना अधिक आसक्त हो गया कि उसने राज्य की उपेक्षा कर दी और परिणामस्वरूप उसके राज्य का अधिकांश भाग नष्ट हो गया । उसके मंत्रियों ने एक उपाय सोचा कि इस प्रकार नष्ट हुआ राज्य पुनः प्राप्त हो सकता है । एक दिन राजा जब अपने पड़ाव से शिकार खेलने के लिए गया हुआ था, तब मंत्रियों ने झूठी अफवाह उड़ा दी कि वासवदत्ता गाँव में आग लगने से जल गयी और उसके साथ मंत्री यौगन्धरायण भी उसको बचाता हुआ जल गया है । यौगन्धरायण वासवदत्ता को मगध-राजकुमारी पद्मावती के पास ले गया और उसके पास धरोहर के रूप में रख दिया । वह चाहता था कि उदयन का विवाह पद्मावती के साथ हो जाय और इस प्रकार मगध - राज की सहायता प्राप्त करके नष्ट राज्य को पुनः प्राप्त किया जाय । यौगन्धरायण ने अपने आप को वासवदत्ता का भाई बताया और कहा कि इसका पति प्रवास में गया है । वासवदत्ता पद्मावती के पास रही । लौटकर आने पर उदयन बहुत दुःखित हुआ और अपनी इच्छा के विरुद्ध पद्मावती से विवाह के लिए उद्यत हो गया । विवाह के पश्चात् रुग्ण पद्मावती को देखने के लिए उदयन समुद्रगृह में गया और वहाँ खाली स्थान देखकर सो गया । वासवदत्ता पद्मावती की सेवा के लिए वहां