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संस्कृत साहित्य का इतिहास
विषयक ग्रन्थों के साथ जो यवन नाम मिलता है, उससे ज्ञात होता है कि भारतीय ज्योतिष का सम्बन्ध यूनानी ज्योतिष से था । दोनों में अन्य समानताएँ ये हैं -- गणना की पद्धति में समानता, सूर्य के उदय और अस्त, नक्षत्रों आदि का उदय और ग्रस्त होना, दिन और रात्रि का ठीक-ठीक माप तथा सप्ताह के दिनों का नाम ग्रहों के नाम पर रखना । इन घटना- साहचर्यों के आधार पर पाश्चात्य विद्वान् यह सिद्ध करने का प्रयत्न करते हैं कि भारतीय ज्योतिष को उत्पत्ति और उसका विकास यूनानी ज्योतिष से हुआ । यह मन्तव्य सर्वथा अशुद्ध है । बौधायन के धर्मसूत्रों से ज्ञात होता है कि ५०० ई० पू० से पूर्व भारतीय ज्योतिष को ये विशेषताएँ विद्यमान थीं, जिनको यूनानी विशेषताओं के समान मानते हैं । सिकन्दर के साथ यूनान को लौटते समय यूनानी भारत से बहुत से बहुमूल्य ग्रन्थ अपने साथ लेते गए थे । सम्भवतः इन ग्रन्थों से उनको अपने ज्योतिष विषयक ज्ञान की वृद्धि में विशेष सहायता प्राप्त हुई । अतएव उनके ज्योतिष में भारतीय ज्योतिष के समान विषय आदि प्राप्त होते हैं । यहाँ पर यह मानना उचित है कि भारतीय ज्योतिषियों के यूनानियों के साथ सम्पर्क के कारण भारतीय ज्योतिष के विकास पर कुछ प्रभाव अवश्य पड़ा है । अतः यह मानना उचित है कि भारतीय ज्योतिष का जन्म और विकास स्वतन्त्र रूप से हुआ है । ज्योतिष केवल कल्पना का विषय नहीं है । इसके लिए आवश्यक है कि बहुत समय तक ग्रहों की स्थिति तथा उनको गति आदि का निरीक्षण किया जाय और सूक्ष्मता के साथ उनकी गणना की जाय 1