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ज्योतिष
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गणित । (३) ग्रहगणित । इसमें ग्रह-सम्बन्धी गणना का वर्णन है। (४) गोल । इसमें गणित ज्योतिष सम्बन्धी समस्याओं तथा गणित ज्योतिष सम्बन्धी यन्त्रों का वर्णन है। उसने करण विषय पर ११८३ ई० में करणकुतूहल ग्रन्थ लिखा है । करण विषय पर शतानन्द ने भास्वतो ग्रन्थ लिखा है । उसका समय अज्ञात है । केरल के परमेश्वर ने गोलदीपिका नामक ग्रन्थ लिखा है । इसमें आकाश-ज्योतिष का वर्णन किया गया है । परमेश्वर का समय १५वीं शताब्दी का प्रारम्भ है। इसके अतिरिक्त उसने गणित ज्योतिष और फलित ज्योतिष पर दस से अधिक पुस्तकें लिखी हैं । उनमें से कुछ तो टीकायें हैं; जैसे, प्रार्यभट्टीय, सूर्यसिद्धान्त, लीलावती तथा अन्य । १६वीं शताब्दी के अन्त में केरल के अच्युत ने राशिगोलस्फुटानीति नामक ग्रंथ लिखा । इसमें ग्रहों और नक्षत्रों को लम्बाई की माप का वर्णन है साथ ही क्रान्तिवृत्त को भी चर्चा है। उसने क्रान्तिवृत्त की कमी का भी नियम दिया है। गणित ज्योतिष पर उसके कुछ और भी ग्रन्थ हैं; जैसे, कर्णोत्तम तथा उपरागक्रियाकर्म । मालजित् ने १६४३ ई० में पारसीप्रकाश ग्रन्थ लिखा है । इसमें उसने पद्धति दो है कि किस प्रकार हिन्दू तिथियों को मुसलमानी तारीखों में बदला जा सकता है । उसके आश्रयदाता मुसलमान बादशाह शाहजहाँ ने उसको वेदांगराय की उपाधि दी थी। नीलकण्ठसोमयाजिन ने सिद्धान्तदर्पण नामक ग्रन्थ लिखा है। उसका जन्म १४४२ ई० में केरल में हुआ था । इसमें ज्योतिष विद्या सम्बन्धी लघुवृत्त, ज्योतिषविद्या की स्थिरतानों, ग्रहण-सम्बन्धी रविमार्ग या क्रान्तिवृत्त, ग्रहों की पृथ्वी को केन्द्र मानकर विचार को हुई स्थिति आदि का वर्णन है। इसके अतिरिक्त वह ज्योतिष विद्या के अन्य ६ ग्रन्थों का लेखक है। उसने अपने ही ग्रन्थ सिद्धान्त दर्पण को सिद्धान्त दर्पण व्याख्या नाम की टीका लिखी है। आर्यभट्ट के आर्यभट्टीय पर आर्यभट्टी भाष्य लिखा है । सूर्य और चन्द्रग्रहण की गणना पर ग्रहणनिर्णय नामक ग्रन्थ भी लिखा है।
भारतीय और यूनानी गणित ज्योतिष में कुछ समय-सम्बन्धी घटनासाहचर्य है। दोनों स्थानों पर राशियों के नाम समान हैं। भारतीय ज्योतिष