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कालिदास के परवर्ती नाटककार .
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लेखक माना जाता है । (१) मदनगोपालविलास--यह भाण नाटक है । सुभद्राधनंजय-- इसमें पाँच अंक हैं। (३) रत्नेश्वरप्रसादन--इसमें पाँच अङ्क हैं । लगभग इसी समय राजचड़ामणि दीक्षित ने तीन नाटक लिखे हैंप्रानन्दराघव नाटक, कमलिनीकलहंस नाटक और शृंगारसर्वस्वभाण । शिवलीलार्णव के लेखक नीलकण्ठ दीक्षित ( १६५० ई० ) ने नल की कथा पर आश्रित नलचरित लिखा है । इसमें ६ अङ्क हैं, परन्तु यह अपूर्ण ज्ञात होता है। विश्वगुणादर्श के लेखक वेंकटाध्वरी ( १६५० ई० ) ने प्रद्युम्नानन्द नाटक लिखा है। इसमें ६ अङ्क हैं। इसमें प्रद्युम्न का रति के साथ विवाह का वर्णन है। इसी समय रुद्रदास ने चन्द्रलेखा नामक एक सट्टक नाटक लिखा है । इसमें चन्द्रलेखा और मानवेदराज के विवाह का वर्णन है । महादेव ( १६५० ई० ) ने राम की कथा पर आश्रित दस अङ्कों में अद्भुतदर्पण नाटक लिखा है। इसमें लंका की घटनाएँ एक अद्भत दर्पण के द्वारा दिखाई गई हैं । इसमें विदूषक है। रामभद्र दीक्षित ( १७०० ई० ) ने जानकीपरिणय नाटक लिखा है । इसमें कई अवास्तविक पात्र भी दिये गये हैं । लंका का एक राक्षस विद्युज्जिह्वा, रावण, शरण और ताड़का क्रमशः विश्वामित्र, राम, लक्ष्मण और सीता का वेष धारण करते हैं। वे इस वेष में राम, लक्ष्मण और सीता को धोखा देने के लिए विश्वामित्र के आश्रम पर आते हैं । शूर्पणखा एक संन्यासिनी के वेष में भरत के पास जाती है और प्रयत्न करती है कि राम की मृत्यु का असत्य समाचार सुनाकर भरत का भी शरीरान्त करा दे । राम विमान से अयोध्या पहुँचते हैं और राक्षसों का यह प्रपंच प्रकट हो जाता है । इस प्रकार उनका प्रयत्न निष्फल रहा। तब राम का राज्याभिषेक होता है । इसका ही एक भाण नाटक शृंगारतिलक है। इस नाटक का दूसरा नाम अय्याभाण है, क्योंकि लेखक का दूसरा नाम अथ्य था । नल्लाकवि ( १७०० ई० ) सुभद्रापरिणय नाटक और शृङ्गारसर्वस्व नामक भाण का लेखक माना जाता है । लगभग इसी समय ये नाटक भी लिखे गये हैं--(१) कवितार्किक का कौतुकरत्नाकर नामक प्रहसन, (२) सामराज दीक्षित का एक प्रहसन