________________
चम्पू
१९८३
स्तबकों में भागवत की कथा है । अभिनवकालिदास नाम के कई कवि हुए हैं । लेखक का वास्तविक नाम अज्ञात है । एक क्षत्रिय सोढल ने उदयसुन्दरीकथा लिखी है । यह ११वीं शताब्दी ई० में हुआ था । यह ग्रन्थ गद्य और पद्य में है । इसकी गणना चम्पूग्रन्थों में की जा सकती है। इसमें ६ उच्छ्वासों में नाग - राजकुमारी उदयसुन्दरी और प्रतिष्ठान के राजा मलयवाहन के विवाह का वर्णन है । यह प्रशंसनीय और आकर्षक शैली में लिखा गया है । इसका प्रथम अध्याय आत्मकथा के रूप में है । इसकी कहानी एक तोता कहता है-- जैसे कादम्बरी में । कदम-कदम पर बाण का प्रभाव दृष्टि में आता है । सारस्वतश्री इस चम्पू का लक्षण है । लेखक ने कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग किया है जो संस्कृत भाषा के लिए विदेशी हैं, जैसे - क्षक्, झम्पः इत्यादि । भूमिका - भाग में लेखक ने चित्तराज, नागार्जुन तथा मुम्मुनिराज, कोङ खणनरेशों और वत्सराज का भी उल्लेख किया है । लाट के राजा चालुक्य का उल्लेख अपने आश्रयदाता के रूप में किया है । वहीं पर उसने वाल्मीकि, व्यास, वाक्पतिराज, मायुराज, विशाखदेव, गुणाढ्य, भतृमेण्ठ, कालिदास, बाण, भवभूति, अभिनन्द, यायावर ( राजशेखर), कुमारदास तथा भास की भी चर्चा की है । कहा जाता है कि महाराज हर्षवर्धन ने बाण को सैकड़ों करोड़ की सम्पत्ति से पुरस्कृत किया । उसने अभिनन्द, वाक्पतिराज, कालिदास और बाण का जो उल्लेख किया है वह चित्रात्मक है । देखिए :--
वागीश्वरं हन्त भजेऽभिनन्दमर्थेश्वरं वाक्पतिराजमीडे ।
रसेश्वरं स्तौमि च कालिदासं
बाणं तु सर्वेश्वर मानतोऽस्मि ॥ उदयसुन्दरीकथा
सुरथोत्सव का लेखक सोमेश्वरदेव ( १२४० ई०) चम्पू रीति में लिखे हुए कीर्तिमुदी ग्रन्थ का लेखक है । इसमें वीरधवल के मन्त्री वस्तुपाल का