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कथा-साहित्य
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इसमें राजा मुंज के बाद भोज किस प्रकार सिंहासन पर बैठा, इसका भी वर्णन है । इसमें काल- सम्बन्धी त्रुटियाँ बहुत हैं ।
वेतालपंचविंशतिका के लेखक शिवदास ने कथार्णव लिखा है । इसमें प्रसिद्ध ३५ कहानियाँ हैं । श्रीवीरकवि ने १४५१ ई० में कथाकौतुक लिखा है । यह १५ अध्यायों में पद्य में है । यह यूसुफ और जुलेका की कथाओं पर आधारित है । यह जोनराज का शिष्य श्रीवर ही है । इनके अतिरिक्त श्रानन्दकृत माधवानलकथा और विद्यापति कृत पुरुषपरीक्षा आदि प्रचलित ग्रन्थ हैं |