________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
संशयतिमिरप्रदीप।
मानूंगा और जहांतक हो सकेगा अपनी मन्द बुद्धि के माफिक उनके चित्त को शान्त करने का भी शक्ति भर प्रयत्न करता
रहूंगा।
प्रश्न ये हैं(१) नैवेद्य में कच्ची सामग्री का चढ़ाना मेरी समझ में ठीक
नहीं है । गृहस्थों के लिये ही जब घर वाहर की रसोई अयोग्य हो जाती है तब उसे पूजन में चढ़ाना कैसे
ठीक होगा? (२) दीपक पूजन में कितने लोगों का मत नारियल की
गिरी को केशर के रंग में रंगकर चढ़ाने का है वह किसी तरह ठीक भी कहा जाय तो कुछ हानि नहीं दीखती। क्योंकि जब साक्षात्परमात्मा का भी हमें पाषाणादिको में संकल्प करना पड़ता है तब इस छोटी सी बात में
हानि क्या है? (३) हरित फलो का चढ़ाना ठीक नहीं है ? (४) दीपक की तरह चावलों को रंग कर पुष्पों की कल्पना
करने में भी मेरी समझ में हानि मालूम नहीं देती ? (५) बैठ कर पूजन करने से खड़े होकर पूजन करना बहुत
कुछ योग्य और विनय का सूचक है । जब साधारण राजा महाराजाओं की भी सेवा करने के लिये खड़ा रहना पड़ता है तब त्रैलोक्य नाथ के बराबर बैठ कर
पूजन करना कितना अनुचित है ? (६) जो परिणामों की विशुद्धता सन्मुख पूजन करने से हो
For Private And Personal Use Only