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अपनी चाल मिलानी पडती है तो साथ निभता है एवं विचित्रता आ जाती है देखो कि पुद्गलाणु से पुद्गलाणु का मेल होने पर अपनी परम सूक्ष्मता को उलांघ कर स्वन्ध बनते हुये उन्हें स्थूलताकी सड़कपर आजाना पड़ता है । अ र पुद्गल का सम्बन्ध जब कि जीव के साथ होता है तो पुद्गल को शरीर एवं जीव को उसका शरीरी हो कर रहना पड़ता है । एकोऽन्यतः सम्मिलतीतियाबद्व भाविकी शक्तिरुदेतिवाद तयोरथैकाकितयाऽन्वयेतु शक्तिः पुनः साखलुमौनमेतु । १३ ।
अर्थात् जीव द्रव्य और पुद्गल द्रव्य इन दोनोंमे एक वैभाविकी नाम शक्ति है दूसरे से मिलने पर उसके प्रभावको आप स्वीकार करना एवं अपना प्रभाव उस पर दिखाना यही
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उसका लक्षण है जो कि एकका दूसरे के साथ सम्बन्ध बना रहता है तब तक तो अपना कार्य करती है दोनों पृथक् पृथक् होने पर वह चुप हो बैठती है पेन्सिन पायन्दा कर्मचारी के समान वेकार हो लेती है। जैसे श्राकाश में जगह देने का गुण है किन्तु लोकाकाश में जब कोई द्रव्य ही दूसरा नही तो किसे जगह दे अतः उसका कार्य वहां पर गौण है वैसे ही वैभाविकी शक्ति भी दूसरे से सम्बन्ध होने पर अपना कार्य करती है वरना वह चुप रहती है। हमारी सरकार में दो प्रकार के कर्म कर है एक तो मदा कार्य करने वाले और दूसरे आवश्यकता पर अपना कार्य दिखलाने वाले वैसे ही वरतुमें भी