________________
: ४ :
सत्य-सूत्र
( ३० )
सदा श्रप्रमादी और सावधान रहकर, असत्य को त्याग कर, हितकारी सत्य वचन ही बोलना चाहिए। इस तरह सत्य बोलना बड़ा कठिन होता है ।
( ३१ )
अपने स्वार्थ के लिए अथवा दूमरो के लिए, क्रोव से अथवा भय से ―― किसी भी प्रसंग पर दूसरो को पीडा पहुँचानेवाला असत्य वचन न तो स्वय बोले, न दूसरो से बुलवाये ।
( ३२ )
मृपाबाद (असत्य) ससार में सभी सत्पुरुपो द्वारा निन्दित ठहराया गया है और सभी प्राणियो को श्रविश्वसनीय है; इसलिए मृपावाद सर्वथा छोड देना चाहिए ।
( ३३ )
अपने स्वार्थ के लिए, अथवा दूसरो के लिए, दोनो में से किसी के भी लिए, पूछने पर पापयुक्त, निरर्थक एव मर्मभेदक वचन नही बोलना चाहिए ।