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अपरिग्रह-सूत्र
(७१) ज्ञानी पुरुप, सयम-साधक उपकरणो के लेने और रखने में कही भी किसी भी प्रकार का ममत्व नहीं करते। और तो क्या, अपने गरीर तक पर भी ममता नहीं रखते।
(७२) सग्रह करना, यह अन्दर रहनेवाले लोम की झलक है। अतएव में मानता हूँ कि जो साधु मर्यादा-विरुद्ध कुछ भी सग्रह करना चाहता है, वह गृहस्य है-साधु नहीं है।