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मोक्षमार्ग-सूत्र
१६९ ( ३२०) जो श्रमण भौतिक सुख की इच्छा रखता है, भविष्यकालिक सुख-साधनो के लिए व्याकुल रहता है, जब देखो तव सोता रहता है, मुन्दरता के फेर में पड़कर हाय, पर, मुंह आदि धोने में लगा रहता है, उसे सद्गति मिलनी बड़ी दुर्लभ है।
( ३२१ ) जो उत्कृष्ट तपश्चरण का गुण रसता है, प्रकृति से सरल है, क्षमा और संयम में रत है, शान्ति के साथ क्षुघा आदि परीपहो को जीतनेवाला है, उसे सद्गति मिलनी बडी सुलभ है।