Book Title: Samyaktva Sara Shatak
Author(s): Gyanbhushan Maharaj
Publisher: Digambar Jain Samaj
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महावीरवाणी ( ३२८)
खंधवाओ
पंच खंघे धर्यतेगे, बाला उ खण-जोइणो। अण्णो अणण्णो वाहु, हेयं च अहेयं ॥७॥
( ३२६ )
निच-वाओ
संति पंच महन्भूया, इहमेगेसिमाहिया । प्रायट्ठा पुणो प्राहु, आया लोगे य सासए ॥
( ३३० )
दुहनो न विणस्सन्ति, नो य उप्पज्जए अयं । सव्वे वि सवहा भावा, नियतिभावमागया

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