Book Title: Samyaktva Sara Shatak
Author(s): Gyanbhushan Maharaj
Publisher: Digambar Jain Samaj
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:२४:
विवाद-सुत्
( ३२२ )
नत्थियवायो
संति पंच महन्भूया, इहमेगेसिमाहिया। पुढवी पाऊ तेक वा, वाऊ भागासपंचमा ॥१॥
( ३२३ )
एए पंच महब्भूया, तेब्भो एगो ति माहिया । मह तेसि विणासेणं, विणासो होइ देहिणो ॥२॥
( ३२४ )
बम्हवाओ
जहा य पुठवीथूभे, एगे नाणा हि दीसइ । एवं भो ! कसिणे लोए, विनू नाणा हि दोसइ ॥३॥

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