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लोकतत्त्व-सूत्र १३९
( २६० ) पांच समिति और तीन गुप्ति-इस प्रकार पाठ प्रवचन-माताएं कहलाती हैं।
( २६१ ) ईर्या, भापा, एपणा, आदान-निक्षेप, और उच्चार-ये पांच समितियां है। तथा मनोगुप्ति, वचनगुप्ति, और कायगुप्ति-ये तीन गुप्तियां है। इस प्रकार दोनो मिलकर आठ प्रवचन-माताएं है।
( २६२ ) पांच समितियां चारित्र्य की दया आदि प्रवृत्तियो में काम आती है, और तीन गुप्तियां सव प्रकार के अशुभ व्यापारो से निवृत्त होने में सहायक होती है।
(२६३ ) जो विद्वान् मुनि उक्त आठ प्रवचन-माताओ का अच्छी तरह आचरण करता है, वह शीघ्र ही अखिल ससार से सदा के लिए मुक्त हो जाता है।