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अहिंसा-सूत्र
( १८ ) भगवान् महावीर ने अठारह धर्म-स्थानो मे सबसे पहला स्थान अहिंसा का बतलाया है।
सब जीवों पर संयम रखना अहिंसा है; वह सब सुखो की देनेवाली मानी गई है।
(१६) संसार में जितने भी अस और स्थावर प्राणी है, उन सब को-क्या जान में, क्या अनजान मे न खुद मारे और न दूसरो से मरवाये।
(२०) जो मनुष्य प्राणियो की स्वय हिंसा करता है, दूसरो से हिंसा करवाता है और हिंसा करनेवालो का अनुमोदन करता है, वह ससार में अपने लिए वैर को ही वढाता है।
(२१) संसार में रहनेवाले त्रस और स्थावर जीवो पर मन से, वचन से और शरीर से,—किसी भी तरह दण्ड का प्रयोग न करे।