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धर्म-सूत्र
(१) धर्म सर्वश्रेष्ठ मगल है। (कौन-सा धर्म ) अहिंसा, सयम और तप ।
जिस मनुष्य का मन उक्त धर्म में सदा संलग्न रहता है, उसे देवता भी नमस्कार करते है।
(२) अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह-इन पांच महावतो को स्वीकार करके बुद्धिमान मनुष्य जिन-द्वारा उपदेश किये धर्म का आचरण करे।
छोटे-बडे किसी भी प्राणी की हिंसा न करे, प्रदत्त (विना दी हुई वस्तु) न ले, विश्वासपाती असत्य न बोले-यह आत्मनिग्रही सत्पुरुषो का धर्म है।
जरा और मरण के वेगवाले प्रवाह मे बहते हुए जीवो के लिए धर्म ही एकमात्र द्वीप है, प्रतिष्ठा है, गति है, और उत्तम शरण है।