________________
[७] 'वाणी' का हिन्दी भाषान्तर मेरे प्रिय विद्यार्थी श्री अमरचन्दनी मुनि (कवि-उपाध्याय) ने किया है और उसका संशोषन श्री वियोगी हरि ने करने की कृपा की है। इनका भी आभार मानना उचित है।
यद्यपि मैने मूल के संपादन तथा संशोधन में भरसक सावधानी रखी है, तो भी मेरी आँखें कमजोर होने के कारण उसमें त्रुटियां रह जाना शक्य है। पाठकगण कृपया उन्हें क्षमा करें। १२/ब, भारतीनिवास सोसाइटी, 1 :
स जीवराज दोशी अहमदाबाद नं०६