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[ १८ ] प्रत्येक के अनुयायियो मे भेद हो गये; और एक के अनुयायी क्षपणो और दूसरे के अनुयायी श्रमणो, मे मारपीट तक हुई, जिसका वर्णन क्षेमेन्द्र ने "अवदान-कल्पलता" काव्य मे किया है। और उन दोनो के निर्वाण के पश्चात् तो कितने ही भिन्न भिन्न 'पथ' प्रत्येक के अनुयायियो मे हो गये। मै आशा करता हूँ कि इन भेदो के मिटाने मे, और संवाद बढाने मे, यह महावीर-वाणी सहायता करेगी।
काशीसौर १०-४-१९९७ वि०
भगवानदास