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शश-क्या विलक्षणता होजाती है क्या वे नर-मादा नही रहते उत्तर-रहते तो नर-मादा के नर मादा ही हैं फिर भी उनमें अकेले में जो बात थी वह फिर नहीं रहती देखो कि विशल्या में ब्रह्मचारिणी की अवस्था में जो सर्वरोग हरण शक्ति थी लक्ष्मणके साथ विवाह हो जाने पर उसमें वह शक्ति नही रही वैसे ही पर द्रव्य के साथ संयोग विशेष होने पर द्रव्य में स्वाभाविकता नही रहती देखो किधर्मोऽप्यधर्मोऽपि नभश्चकालः स्वाभाविकार्थक्रिययोक्तचाल: जीवस्तथा पुद्गल इत्युदारं परिवद्विक्रिययापिचारं ॥१२॥
अर्थात्-धर्म द्रव्य, अधर्म द्रव्य, आकाश और काल ये चारों द्रव्य किसी के साथ अपना कोई प्रकार का नाता नही जोड़ते अतः ये सब ठीक एकअपनी उसी सहज चालसे परिणमन करते रहते हैं परन्तु जीव और पुद्गल इन दोनों की ऐसी बात नही है। ये जव एक दूसरे के साथ सम्मिलन को प्राप्त होते हैं तो एक और एक ग्यारह वाली कहावत को चरितार्थ करते हुये उदारता दिखलाते हैं यानी अपनी सहज स्वाभाविक हालत से दूर रहते हुये विकार से युक्त होते हैं। एक सो नेक किन्तु मेल में खेल होता हे दो चीजों के मेल में विकार आये बिना नही रहता । अपने सहज क्रमवद्ध परिणमन के स्थान पर व्युत्क्रमको ही अपनाना पड़ता है जैसे अकेला पथिक अपनी ठीक चालसे चलता है किन्तु वही जब दूसरे के साथ होता है वो दोनों को