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है ? तो मै उत्तर देता—एक अक्लमर्द बहत-सी भैसो को __चरा सकता है और कमअक्ल को एक ही भैस मार सकती है।
इस प्रकार अन्य पदार्थों की अपेक्षा, बुद्धि महान है । रेल, तार, वायुयान आदि का वृद्धि द्वारा हो आविष्कार हुआ है । अन्तरग और बहिरग वस्तु मे भी ऐसा ही अन्तर समझना चाहिए । अन्तरग वस्तु बुद्धि के समान है और बहिरग वस्तु भैस के समान है । ऐसा होते हुए भी आप किसे चाहते है ? आप बाह्य वस्तुओ को चाहते हैं या अत. रग वस्तुओ को ? कही बाह्य वस्तुप्रो के लिए आप बुद्धि के दुश्मन तो नही बन जाते ? अगर आप बुद्धि के दुश्मन न बनते हो तो आपको उपदेश देने की आवश्यकता ही न रहे। जहा रोग ही न हो वहा डाक्टर को क्या आवश्यकता है? और जहा रगडे-झगडे न हो वहा वकोल की क्या जरूरत है ? इसी प्रकार अगर आप बुद्धि के शत्रु न बनते हो तो हमे उपदेश देने की आवश्यकता ही क्यो पड़े ? जनता को उपदेश इसी कारण देना पडता है कि वे बुद्धि के शत्रु बनकर खान-पान, पहनावा आदि मे बाह्य पदार्थों को महत्व देते हैं और विवेकबुद्धि को तिलाजलि दे बैठते है । जो लोग सदैव विवेकवुद्धि से काम लेते हैं, उनके लिए उपदेश की आवश्यकता ही नही रहतो ।
आप लोग शरीर पर पाच-छह कपडे पहनते हैं । परन्तु क्या आपका शरीर इतने अधिक कपडे पहनना चाहता हैं ? विवेकवुद्धि कहती है कि शरीर को इतने वस्त्रो की आवश्यकता नहीं है, फिर भी लोग ध्यान नही देते और अधिक कपड़े लादते है । यह कार्य बुद्धि के शत्रु होने के