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[ २० ] दना दुख सह आव्यो, बली तिहनैं मगधाई एहवी बात रूड़ी न छै तमनैं तीन भवनना राई॥ जीवा० ॥३॥ लाख बातनी बात ए छै, मूकीनै विषयकषाई द्यानत ते वारै सुख लाधौ, एम गुरु समझाई॥४॥
(३७ ) राग मल्हार। ज्ञान सरोवर सोई हो भविजन ॥टोक॥ भूमि छिमा करुना मरजादा, सम-रस जल जहं होई ॥ भविजन० ॥१॥ परहति लहर हरख जलचर बहु, नय पंकति परकारी । सम्यक कमल अष्ट दल गुण हैं, सुमन भँवर अधिकारी ॥ भविजन ॥२॥ संजम शील आदि पल्लव हैं कमला सुमति निवासी । सुजस सुवाल कमल परिचयतें, परसत भ्रम तप नासी ॥ भविजन० ॥३॥ भव मल जात न्हात भविजनका, होत परम सुख साता । द्यानन यह सर और न जानें, जानें बिरला ज्ञाता ॥भ०४॥
(३८) जीव ! तैं मूढ़पना कित पायो टेक॥ सब जग स्वारथको चाहत है, स्वारथ तोहि न भायो ॥ जीव० ॥१॥ अशुचि अचेत दुष्ट तनमांहीं कहा जान विरमायो । परम अतिन्द्री निजसुख हरिक,