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बुधजन विलास
__७ भजन । या नित चितवो उठिकै भोर, मै हूं कौन कहांत प्रायो, कौन हमारी ठौर ॥ या नितष्टेक॥ दीसत कौन कौन यह चितवत,कौन करत है शोर । ईश्वर कौन कौन है सेवक, कौन करे झकझोर ॥ या नित०॥१॥ उपजत कौन मरैको
भाई, कौन डरे लखि घोर। गया नहीं प्रावत । कछु नाही, परिपूरन सब ओर ॥ या नित०
॥२॥ और और मैं और रूप है, परनतिकरि लह और। स्वांग धरै डोलो याहीतैं तेरी बुधजन भोर ॥ या नित० ॥३॥
८ भजन। श्रीजिनपूजनको हम आये, पूजत ही दुखदुंद मिटाये॥ श्रीजिन०॥टेक ॥ विकलप गयो प्रगट भयो धीरज अद्भुत सुख समता बरसाये।
आधि व्याधि अब दीखत नाही, धरम कलपतरु प्रांगन थाये ॥ श्रीजिन० ॥१॥इतमै इन्द्र चक्रवति इतमैं इतमै फर्निद खड़े सिर नाये।