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(गज़ल) मेरी नाव भवदधि में पड़ी कर पार अब सुन लीजिये, जग वन्धुवामानंद से अरदास अब सुन लीजिये ।। टेक ।। है झांझरी नैय्या मेरी मंझधार गोते खा रही, वस कर्म बाम झकोरती, जगतार अब सुन लीजिये । मेरी नाव०॥ १॥ गति चार जलचर जहां वसैं मुख फाड़ फाड़ डरावते, तिन से बचाओ दीन पति इस बार अव सुन लीजिये। मेरी नाव० ॥ २ ॥ भव जल अथाही में मेरा तुम बिन नही है दूसरा, मेरी बांह को गहले प्रभु चितधार, अब सुन लीजिये । मेरी नाव० ॥ ३ ॥ सब कारज अब मेरे भये घट राम रत्न खुशाल है, दिन रैन जिनवर नाम का प्राधार, अब सुन लीजिये । मेरी नाव भवदधि में पड़ी० ॥४॥
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(ठुमरी झंझोटी ) नेम प्रभू की श्याम वरन छवि नयनन छाय रही, मणिमय तीन पीठ पर अम्बुजता पर अधर ठही ॥टेक॥ मार मार तपधार जार विधि केवल रिद्ध लई । चार