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( ४१ ) रहित नर नारी की सोहवत में नहीं आना चाहिये, जो हित चाहो ' जिनेश्वर' बचन हृदय लाना चाहिये विषय फंसे नर को विधि विषधर समय२ प्रति डसते है । अवला तन० ॥४॥
__ (घड़ी क्या कहती है) ___ टिक टिक करती घड़ी रात दिन हम को यहो सिखाती है, जल्दी करो काम मत चूको घड़ी बीतती जाती है । महा शक्ति शाली क्षण क्षण की यदि सहायता पाओगे, तो भी शीघ्र नहीं कुछ दिन में तुम मनुष्य बन जाओगे टिक०॥१॥ पूरी करनी है जीवन बड़ी २ जिम्मेदारी, जिसके विना न होसकते हो मनष्यता के अधिकारी इससे जग प्रसिद्ध उद्योगी महाजनों की गैल गहो, उठो और अ.लस्य छोड़ कर प्रतिक्षण के सन्निकट रहो । टिक २ करती० ॥ २ ॥ क्षण को नहीं तुम्हारी चिन्ता तुम्हें छोड़ भग जाता है, सावधान ! वह गया हुआ फिर कभी न वापिस आता है इस कारण से तुम सचेत हो करो रात दिन रखवाली, करते रहो काम कुछ भरसक कभी नही बैठो ठाली। टिक टिक करती०॥३॥ सदा सामने से वह प्रति तण सुख दुख के साधन सारे, साथ लिये भागा जाताहै रुका