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( ५२ ) विरोधी---वाह मजेदार यह प्याला, मोरीमें गिरानेवाला
जूतों से पिटाने वाला, इज्जत को घटाने वाला। शरावी-~-यह मस्त बनावे ऐसा, बस बादशाह है जैसा । विरोधी--(शेर) अय अहले हिद तुमको खोया शराब ने,
जाहो जलाल मरतबा खोया शराब ने । वेसुध पड़े हो ऐसे कि अपनी खबर नही, उल्लू बना दिया तुम्हे गोया शराव ने ॥ अव मंजिले तरक्की पर पहुंचोगे किस तरहे, कांटों का बीज राह में बोया शराब ने ॥ गैरत नहीं तुम्हें जरा देखो तो हालको, फिहरिस्त नंगों के नाम में लिखाया शराब ने ।।
(चलत) यह हालत देखो कैसी, बिल्कुल है मुर्दा जैसी,
अब होश में आओ छोड़ नशेको इस्की ऐसी तैसी। शराबी-क्या अजव हाल हुआ मेरा, किस बदमस्ती ने घेरा,
' यह कैसा छाया अन्धेरा, दिखता नहीं शाम सवेरा । विरोधी-तू हटको छोड़दे भाई, नही इसमें कोई बड़ाई,
यह नशा बड़ा दुखदाई, कहता हूं सुन चितलाई । शराबी-तरी मान नसीहत छोड़, बोतल को जमींम तोडू
ना पियूं कभी यह य्याला, वे इज्जत करने वाला। ना पियो कोई यह य्याला, लानत २ यह प्याला ।।