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( २६ ) तुमरे चरन नवाचे नुम पर बारना जी। जाउं जाऊं ॥४॥ कुन्दन शरण नरहरी गणे. दर्शन पाय परम सुख पायो, स्वामी मुझनो पार लान, तुः जग तारना जी । जाऊं जाऊ जी आदीश्वर हम पर बारना जो ॥ ५ ॥
( लावनी तुम पर बारना० ) जाऊ जाऊं जी वामा सुत तुम पर वारना जी तुम पर वारना जी तुम पर वारना जी जाऊं जाऊंजी वामा० टेक।विश्वसैन घर जन्म लहायो, वामा देवी सुत कहलायो, भव्यजीव मन हरष मनायो तुम पद निरखन कारनाजी । जाऊं जाऊं०॥१॥ शचि पति सुरगन संघ झुलायो शिशु माया मय जननी द्यायो सहस अठोतर कलशा लायो सर गिर पर सिर ढारना जी। जाऊं जाऊं० ॥२॥ सम रस विवसन मुद्रा सोहैं देखत सुर नर मुनि मन मोहे भजगराज तव सिर पर जोहैं कमठस्मय के टारने जी जाऊंजाऊ॥३।।तन आभाशोभा जलधर की पैडी दरसावत शिव धर की सुर गिर भासित घटा जल घर की छटा जो शोभा कारना जी । जाऊं जाऊं जी सॉवरिया०॥४॥
( स्तुति व सुख आशीर्वाद )