________________
बुधजन विलास
भली या विराजै हो भली या विराजै।अहो। टेक ॥ सुर नर मुनि याकी सेव करत हैं, करम हरनके काजै हो ॥ अहो० ॥ १॥ परिग्रहरहित प्रातिहारजुत, जगनायकता छाजै हो। दोष बिना गुन सकल सुधारस, दिविधुनि मुख” गाजै हो॥ अहो देखो० ॥ २॥ चित में चितवत ही छिनमाहीं, जन्म जन्म अघ भाजै हो । बुधजन याकौं कबहु न बिसरो, अपने हितके काजै हो ॥ अहो० ॥३॥
___१७ राग-सारंग लूहरि। __ श्रीजी तारनहारा थे तो, मानें प्यारा लागो राज॥ श्री टंक ॥ बार सभा बिच गंधकुटीमें राज रहे महाराज ॥ श्री०॥१॥अनंत कालका भरम मिटत है, सुनतहिं अाप अवाज श्री० ॥२॥ बुधजन दास रावरो बिनवै, थांसू सुधरै काज ॥ श्री० ॥३॥
१८ राग-पूरवी एकताला। तनके मवासी हो, अयाना ॥ तनके० ॥