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मत कान मोड़, ये पांच खोड़, दुख दे कठोड़ कोर्से जीव जन्तु नारे || ३ || मन टूट जाय, सुध छूट जाय, बोला न जाय, झोला न जाय, सब देत हाय, अरु भाषेंगे हत्यारे ॥ ४ ॥ ले हाय हंस, भयो नष्ट कंस, रावण का वंश, भयो सब विध्वंस, कौरव समस दुर्गति में पधारे ॥ ५ ॥ मत रुध स्वास, मूंद न उस्वाल, 룸 यही खास, जीवन की आस, मत करै-नास, ये वसीले है सारे ॥ ६ ॥ दिन दोकी जोत, है सिर पै मौत, जब लग उद्योत, ले जीन पोत, फिर रात होत, जीती बाजी मत हारे ॥ ७ ॥ सुन कर लमंत, चित कर प्रशांत, है यह ही तंत, जा बैठ अंत, ष्टिग सुख अगंत, मत अपने बिगारे ॥ ८ ॥
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भज राम नाम-मत चाँच चाम-दुनिया के नाम - आवै न काम धन धाम गाम- तेरे संग ना चलेंगे ॥ टेक ॥ रख छिमा भाव कोमल सुभाव छल मत चलाव- रख सत में चांव-लालच हटाव सब चरण में लगेंगे ॥ १ ॥ संजम कूं साध तपकूं अराध-तज अधि व्याधि-जग की उपाधि कर दोप याद - हर कर्म गलेंगे ॥ २ ॥ नित पाल शील- मत करै ढील-खड़ो सील झील पर काल भील-तेरी फौज फील कूं- कुशील ये दलँगे ॥ ३ ॥ यदि है अक़ील बनजा पिपील-मत कर दलील-मत वन रज़ील - तेरे सब चकील करील कूं टलेंगे ॥ ४ ॥ कहै नैनसुख - पलं मेट दुक्ख है यही मुख्य-मत रद्द विमुख्य तेरे छाड़ प्रमुख सब खाक में लेंगे ॥ ५ ॥