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( १२ ) भजन नं० ११ (दादरा थियेटर) पभ लीजो खबरिया हमारीनी ।। टेक ॥ मुझको कर्म डवोते हैं इस मोहजाल में, इससे वचाओ मुझको, फरूंअज हाल में कनो पार नबरिया हमारीजी मभु०॥१॥ निद्रा अनादि बीचपड़ा में ही तो सोनाई, सुमरन नकी भक्ति निहारीयोंही खोनाहूं सुबलीनो सरवरिया हमारीजी प्रभु० । तुम जगको त्याग जाय बस, मुक्तद्वार में। दिखलाओ राह मुक्त कहूं वार २ में । ग्ली मोक्षडगरिया हमारोजीप्रभु० ॥ मुझपर दया करो प्रभु होकर दयाल तुम । सुकवन है तुम्हारा दास, फगे प्रतिपालतुम नहीं तुमविन गुनरिया इमारीनी प्रभु लीजो० ॥ ४ ॥
भजन नं० १२ (दादरा थ्येटर) चलोहूं जिनडगरिया तुम्हारीजी । मिले मुक्तिनगरिया हमारीनी ॥ ठेक ।।
(शेर ) भटका फिरा में पान मगों में जगह जगह । भ्रमता रहा हूँ नीचगतों में जगह जगह ।। पाई अब में खबरिया तुम्हारीजीचलोहूं ॥१॥ भवधि से पार अाके हो सम्यक्त के घाटपर। डाले र आंख भूल कभी राजपाट पर ।।