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( १३ ) पड़ी जिस पै नजरियां तुम्हारी जी चालो हूं जि०॥२॥ बाजों की लागती है भयानक भनक मुझे, भाता नहीं है रोग जगत् का तनक मुझे, सुन शासन बसरिया तुम्हारी जी। चालो हूंजि० ॥ ३ ॥ करमों की घास फेंकी प्रभू ने उखाड़ कर, वैराज्ञ की वढाई है खेती की वाढ़ कर, छाई करुणा वदरिया तुम्हारी जी। चालो हूंजी डगरिया० ॥४॥
( दादरा थ्येटर) लीजो २ खबरिया हमारी जी ॥ टेक ॥ धोखे में आगये हैं कुमतिया की चाल में, रक्खा है हम को बांध के कम्र्मों के जाल में, लीजो० ॥१॥ बीता अनादिकाल हाल कह नहीं सक्ते, जो दुख हमें दिये है वो अब सह नहीं सक्ते, लीजो० ॥ २ ॥ तन धन का नाथ कुछ भी भरोसा मुझे नहीं, माता पिता भी कोई संगाती मेरे नही, लीजो० ॥३॥ सच है कहा संसार में कोई न किसी का, न्यामत को सिवा तेरे भरोसा न किसी का, लीनो० ॥४॥
१४ (प्रभु तार २ भव सिंधु०) प्रभु तार तार भवसिंधु पार, संकट मंझार, तुम ही