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* प्रकाशक के दो शब्द *
~~GAe. - प्रिय पाठक महाशयो ! मेरी बहुत समय से इच्छाथी कि एक पुस्तक गायन विषय की ऐसी प्रकाशित हो जावे जिस्में नवीन व पराचीन कवियों के स्तुति रूप व उपदेशी भजन, वीनती, ड्रामे, भारती, आदि हों जिसे पास रखने से प्रत्येक विषय का गाना पढ़ने को मिल सके । परन्तु अनेक कारणों से इच्छा पूर्ण न हो सकी। -अब अनेक प्रयत्न कर यह अपूर्व रत्न तैयार कराया है। प्रार्थना है धर्म का कार्य आवश्यक व उत्कृष्ट समझ एवं देशोन्नति की सदिच्छा से भारतवर्ष के प्रत्येक व्यक्ति के यह पुस्तक हस्तगत करने का प्रयत्न करें। तथा जिन जिन कवियों के भजन व गायन संग्रह किये हैं उनको शुद्धान्तः करण से कोटिश धन्यवाद समर्पण करता हूं।
विनीत,
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प्रकाशका
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