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FERENTIANETAREERENTINENEPAL न्य अहिसा परमोधर्मः । ॐ
धर्मस्ततो जयः॥
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श्री जैन भजन संग्रह
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रचितन यति नयनसुखदास, कांधला, जिला मुज़फरनगर ।
दर असल यह शील ही मुक्ति का सच्चा द्वार है। शीलधारी को सदा बरती सुमुक्ति नार है।
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, प्रकाशकः--
पं० अतरसैन जैन मैत्तिल, मालिक श्री दि० जैन पुस्तकालय,
महोल्ला अवुपुरा, मुजफ्फरनगर । भजन पढ़ो मङ्गल करो, सन्मुख श्री जिनराज । बिधन हरोसब सुख करो, दीजो सुख जिनराज ॥
दीपमालिका, सं० १९९२
चावूगम शम्मा मैनेजर के प्रबन्ध मे स्वतन्त्र मुद्रणालय, मुजफ्फरनगर में मुद्रित । द्वितीय चार १०००] १९३५ [ मूल्य !