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वृहत् जनपदसंग्रह में क्या है ?
जिस संग्रह के लिये जैन समाज के कोने कोने से आर्डर आ रहे थे और हम उन्हें बराबर आस्वासन देते रहे थे-वही आज ६३५ पदों का संग्रह ४०० पृष्टोंमें छप कर तैयार हो गया इसमें बुधजनजी, द्यानतजी, भृधरजी, भागचन्दजी, जिनेश्वरजी, दौलतरामजी और महाचन्दजी, जैसे महान विद्वानोंकी चुनी हुई उत्तम २ राग रागनियों का संग्रह है। एक ही पुस्तक मंगा लेने से तमाम कवियों की कविताओं का स्वाद आनन्द से मिल सक्ता है। न्योछावर इतने बड़े ग्रन्थ की सिर्फ २) रेशमी जिल्द का २॥) रुपया रक्खा गया है। संग्रह बड़े २ अक्षरों में पुष्ट कागज पर शुद्धता पूर्वक छपाया गया है । मुख पृष्ट पर भाव पूर्ण सुन्दर चित्र भी दिया है। इतना सब होने पर भी सदैव की तरह कार्यालय के ग्राहकोंको पौना कीमत में भेजा जायगा। पत्र व्यवहार का पताः
नृपेन्द्रकुमार जैन मैनेजर, जिनवाणी प्रचारक कार्यालय, ६७४८, कलकत्ता ।