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महाचंद जैन भजनावली ।
जिनबानी, भवतारण शिव सुखकारण || जगमें टेर ॥ स्यादवादकी कथनी वाली सप्तभंगजानी सप्त तत्व निर्णय में तत्पर नव पदार्थ दानी ॥ भवतार० ॥ १ ॥ मोह तिमर अधनको जो है ज्ञान शलाकानी । मिथ्या तप तप तनको जो है मलियागर खानी ॥ भवता ॥ २ ॥ इस पंचम कलिकाल मांहि जे हैं केवली समानी | धर्म कुधर्म कुदेव देवगुरु कुगुरु बतानी || भवता० ॥३॥ इन्द्र धणेन्द्र खगेन्द्रादिक पदकी निसानी । विपयादिक विष विध्वंस करसेव सुख सुधापानी ॥ भवता० ॥ ४ ॥ कुमग गमन करता भविजनकू सुद्ध मग जितानी । जड़ पुद्गल रत बुध महाचन्द्रकू निजपर समझानी ॥ भव० ॥ ५ ॥
आन
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जिया तूने लाख तरह समझायो, लोभीड़ा नाही मानेरे ॥ टेर ॥ जियातें ॥ जिन करमन संग बहु दुख भोगे तिनहीसे रुचि ठानै, निज स्वरुप न जानेरे ॥ १ ॥ विषय भोग विषं सहित
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