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आदर्श नाटक-इसमें दिल्ली अनाथाल्यके वालकों द्वारा गाये जाने वाले इमाओंका सगृह सचित्र है। मू ।)
सोमासती या बिगड़ेका सुधार-रात्रि भोजनपर अच्छा शिक्षा प्रद ड्रामा लिखा गया है । मू०३)
। स्कूली पुस्तकें रत्नकरन्ड प्रावकाचार-सचित्र (सार्थ ) मय चार्ट सहित इतना उत्तम अभीतक नहीं छया था उसे बहुत परिश्रमसे एक सुप्रसिद्ध विद्वान द्वारा सम्पादन कराया है। मू०।-)
द्रव्य संग्रह-(सचित्र ) मुख पृष्टपर छह द्रव्योंका भावपूर्ण दोरंगा चित्र देखकर आप द्रव्योंका रूप आसानीसे समझ लेंगे। उपयोगी कई चार्ट मी दिये गये हैं। सार्थ अन्य तमाम द्रव्य-संगहोंसे उत्तम। छपाई सफाई सर्वोत्तम मू० ।-)
छहढाला-(सार्थ) कव्हर पर "जिन सुधिर मुद्रा देख मृग गण उपल खाज खुजावते" का भावपूर्ण चित्र अन्यय अर्थ आदि कठिन-कठिन उलमानों को हमारे सुयोग्य सम्पादकने सुलझानेका प्रयास किया है। छाई सफाई सर्वोत्तम होनेपर भी मू0 1-) मात्र ।
शिशुवोध जैन धर्म-प्रथम वालबोध जैन धर्मकी तरह बड़े-बड़े वम्बईया टाइपोंमें छपा है। १४ पृष्ठका यह प्रथम भाग है, वारह बार छप चुका है। मु०-)
द्वितीय भाग-१० वार छप चुका है। मू० -)॥
तृतीय भाग-सचिःा बहुत ही उत्तम ढगसे लिखा गया है। मू०३) आर वार छप चुका है। ___चौथा भाग-सचित्र बहुतही सुंदरताके साथ छाया गया है । मू०)
भावना संग्रह-पृष्ठ संख्या ३२ इसमें धर्म पञ्चीसी, 'वारह भावना, भूधर, बुधजन, भगौतीदास, जयचंद, मंगतरायको भावना सम्मिलित हैं, सोलह कारण भावना, वैराग्य भावना, मेरी भावना, ज्ञान पञ्चीसी आदि भी सम्मिलित हैं।