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सूची-पत्र
पद्मपुराण। स्वर्गीय कविवर रविषेणाचार्य कृत संस्कृतका अनुवाद पडित दौलतरामजाने इतनी सरल और मिष्ट भाषामें लिखा है कि उसको आजकलकी भाषामें बदलनेकी इच्छा नहीं होती कारण वे सीधे साधे और भावपूर्ण शब्द पुरुष ही नहीं हमारा स्त्री समाज तथा बालक बालिकायें भी सरलतासे समझ लेता है।
., जबकि देशमें रामायणका प्रचार जोरोंसे है, तब उसी कथाको समझानेके लिये पद्मपुराणका स्वाध्याय अत्यंत उपयोगी है। शास्त्राकार खुले पत्रोंके ग्रन्थकी न्याछावर १०) रुपया।
__ हरिवंशपुराण। श्री कृष्णको जैन धर्ममें कितनी मान्यता है तथा कौरव, पांडव आदिका इतिहास, इस महान ग्रन्थमें सपूर्ण भरा हुआ है। भगवान नेमिनाथ की जीवनीसे तमाम जैन समाजको काफी शिक्षा मिलती है। नौतिपूर्ण एतिहासिक घटनायें पढ़कर मन गदगद हो जाता है। इस अन्यके लेखक वही स्वर्गीय प० दौलतरामजी हैं जिन्होंने सरल भाषा लिखनेमें काफी ख्याति प्राप्त की है, यह प्रन्थ भी शाखाकार सरल भाषामे छपा है। न्यो००).