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द्वितीय-परिच्छेद ]
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६५. श्री दानरत्नसूरि । श्री दानरत्नसूरि का जन्म सं० १७२२ में, सं० १७५१ में दीक्षा, सं० १७७२ में भट्टारक पद, सं० १८२४ के फाल्गुण सुदि १० को प्रांगधरा में स्वर्गवास ।
६६. श्री कीतिरत्नमरि ।
६७. श्री मुक्तिरत्नसूरि : मुक्तिरत्नसूरि का १८७४ में सूरि-पद और १८७६ के मार्गशीर्ष सुदि ४ को स्वर्गवास हुआ।
६८, श्री पुण्योदयरत्नमरि । पुण्योदय का सं० १८७६ में सूरि-पद, सं० १८९० में पौ० सु० ११ को स्वर्गवास ।
६६, श्री अमतरत्नसरि : सं० १८६० में बैशाख सु० ७ सूरि-पद वसो में ।
७०. चन्द्रोदयसरि ७१. सुमतिरत्नसरि ७२. भाग्यरत्नसार
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