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द्वितीय-परिच्छेद ]
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१६ कक्कसूरि २० देवगुप्तसूरि २१ सिद्धसूरि २२ रत्नप्रभसूरि २३ यक्षदेव २४ ककसूरि २५ देवगुप्तसूरि २६ सिद्धसूरि २७ रत्नप्रभसूरि २८ यक्षदेव २६ कक्कदेवमूरि ३० देवगुप्त ३१ सिद्धसूरि ३२ रत्नप्रभ ३३ यक्षदेव ३४ ककुददेव ३५ देवगुप्त - ५ उपाध्याय स्थापित किये, उनमें से जयतिलक
उपाध्याय ने 'शान्तिनाथचरित्र" बनाया। ३६ सिद्धसूरि ३७ ककूदेव ३८ देवगुप्त ३९ श्री सिद्धसूरि ४० कक ४१ देवगुप्त - सं० ६६५ के वर्ष में हर । वीणा बजाने में
__ होशियार थे, जाति के यात्रिय होने से शिथिल
हो गए, सो संघ ने पदभ्रष्ट किया और सिद्धसूरि
को बिठाया । ४२ सिद्धसूरि ४३ ककसूरि - पंचप्रमाल ग्रन्थकर्ता ।
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