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अशुद्ध
[ 7 ] पृष्ठांक पंक्त्यङ्क ८४ २३
षटलक उपलब्ध
पटलक उपलब्ध
शिवभूते"
८८ १६ १४६ १४ १० १०१६
शिवभूति"
दीक्षा
ग्रन्थों
दोक्षा ग्रन्थों प्रयोग हा नहीं दिव्यवावदान प्राची घटनाओं आर्यमा
कषाप्राभृत
१२१ २२ १२२६ १२२६ १२३ १५ १२४ २१ १३३ १८ १३३ २० १३५
१३७
प्रयोग हो नहीं
दिव्यावदान प्राचीन घटनाओं
आर्यमंक्षु कषायप्राभूत
पुराण सैद्धान्तिक पंचास
बाद ३० वर्ष ऊहापोह
स विग्न प्रद्योतनसूरि कृन्नमेनागपुरे
ऽधिकर्वीर मानतुंग को कवि
होकर निर्वृति
बनाया मणिरत्नसूरि चैत्यवन्दनादि
जानकर
१४० १४०
पुरुण सिद्धान्तिक पचास बद ६० वर्ष ऊहपोह संविज्ञ प्रद्योवनमूरि कृन्नमेनागिपुरे ऽधिकै वीर मानतुग कवि दोकर निवृत्ति बनाना मणिरत्नप्रभसूरि चैत्यवन्दादि जाकर
१५
१४० १४२ १४४ १४४ १४५ १४८ १४६
१६ १२ ८
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