Book Title: Pattavali Parag Sangraha
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 529
________________ [ १. ] पृष्ठांक पंक्त्य ३०६ टि० १० ३०६ टि० १६ ३०७ टि. ७ ३११ ४ ३११ ११ शुरु पप्रभाचार्य तमाशबीन कारितं दसणस्स सं० १२५२ पत्तन भंग महावीर साधुनों की सुन्दर सैकड़ों पदस्थापना अर्हद्दत्त विवेक श्री चन्द्रमाला सं० १२८० पद्मावती जिनहितोपाध्याय ____ चारित्रसुन्दरी उज्जयन्त ३१२ ३१३ ३१३ ३१३ मशुद्ध पद्यप्रभाचार्य तमाशाबीन कारित दसरणस्स सं० १२५ पतन भग महवीर साधुमोंक सुदर सैकडी पदस्थापना महद्दत विवेक प्री चन्द्रयाला सं०१-८० पद्मावता जिनाहितोपाध्याय चरित्रसुन्दरी उज्चयन्त सं७ कलक्ष की तिष्ठा परिमण जिनेश्व सूरि देव भण्डगार कल्यार ऋद्धि वोजापुर चत्य बाडड ७ ३ १२ १२ ३१३ ३१३ १४ ३ ३१४ ४ ३१५ १० ३१७ २१६ ३१६ ३१६ ३२२ कलश की प्रतिष्ठा परिमारण जिनेश्वर सूरि देव भण्डागार कल्याण ऋद्धि १६ २५ २३ बीजापुर चैत्य बाहड ३२४ २२ ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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