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शुद्ध
३५० ३५१ ३५२
[ १२ ] प्रशुख
पृष्ठांक पंक्त्या स० १३६०
सं० १३६० दिवगत ३४६
दिवंगत पटरइ
पाटर ३४६
श्री विस्तार ३४७
निस्तार सघ बहिष्कृत
संघ बहिष्कृत संघ
संघ सभव
संभव चामत्कारिक ३५३
चमत्कारिक वामावती रात्रिक ३५४
वामावर्ता रात्रिक संकडों ३५४
सैकड़ों दिया गया ३५५
किया गया निरूण ३५५
निरूपण यथाकोश ३५७
कथाकोश दूसगेये
दूसगेय बैठने
३५८ नत्वा ३५९
नत्वा, जिनप्रभ प्रचार्य
आचार्य आचर्य ३६५
प्राचार्य नेमिचद्र ३६७
नेमिचन्द्र बुद्धिसाग सूरि ३६७ २० बुद्धिसागर सूरि नामधेय ३६७ २२
नामधेयं विरुद्ध ३६८ ३
विरुद प्रत
अन्त पाश्वनाथ प्रतिष्ठा ३७१ अंतिम पार्श्वनाथ की प्रतिष्ठा सकाशाद्वृहीतं ३७५ १७ सकाशाद्गृहीतं
पृष्ठांक ३८१ पंक्ति ७ में "श्रावकों के" इन शब्दों के आगे .
"कुलों की नाम सूचियों के भूङ्गले लिखकर" पढें । प्रास्तित्व ३८२ २२
अस्तित्व
बैठाने
जिनभद्र
३६३ ३६३
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